जानिए 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं और क्या है खास
आज के दिन को युवाशक्ति के नाम से जाना जाता है। युवा’शब्द से ही उत्साह, स्फूर्ति, सक्रियता आदि गुणों का बोध होता है।’युवा’ शब्द वास्तव में आयु- रूप- अर्थ प्रदान करने से परे सकारात्मक गुणों, सक्रिय व्यक्तित्व का बोध अधिक करवाता है।स्वामी विवेकानन्द ने युवा शक्ति का केंद्र शारीरिक बल को नहीं, वरन् मानसिक शक्तियों को माना। युवा होने की परिपूर्णता उसमें है, जिसमें अविराम संघर्ष करने का जज़्बा हो, जिसमें हर पल जीवन में कुछ नवीन करने की उमंग हो।जिसमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अजेय मनःस्थिति हो,जिसमें विनाश की विभीषिका में सृजन के गीत गाने की सामर्थ्य हो, जिसमें असफलताओं की ज्वाला में सफलता के प्रकाश को जन्म देने का भाव हो। ऐसे युवाओं के आदर्श के रूप में स्वामी विवेकानंद के संदेश आज भी उतने प्रासंगिक हैं जितने शताब्दी पहले थे।
राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को मनाने के लिये वर्ष 1984 में भारतीय सरकार द्वारा इसे पहली बार घोषित किया गया था। तब से (1985), पूरे देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में इसे मनाने की शुरुआत हुई थी। इस दिन को मनाने के पीछे का मुख्य कारण भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों और विचारों के महत्व को फैलाना है।
इस सन्दर्भ में भारत सरकार का विचार था कि –ऐसा अनुभव हुआ कि स्वामी जी का दर्शन एवं स्वामी जी के जीवन तथा कार्य के पश्चात निहित उनका आदर्श—यही भारतीय युवकों के लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्रोत हो सकता है।
इस दिन देश भर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं; रैलियाँ निकाली जाती हैं; योगासन की स्पर्धा आयोजित की जाती है; पूजा-पाठ होता है; व्याख्यान होते हैं; विवेकानन्द साहित्य की प्रदर्शनी लगती है।
राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य
भारत के युवाओं को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद मानते थे कि युवा देश के महत्वपूर्णं अंग ही नहीं बल्कि देश का आधार होता है। जो देश की भावी नीति निर्माण और देश को परिपक बनाता है। अतः वे युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत हैं उनके कहे कई शब्द आज भी युवाओं में जोश भरते हैं ।
“महसूस करो कि तुम महान हो और तुम महान बन जाओगें।” – स्वामी विवेकानंद
“उठो, जागो और जब तक मत रुको तब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो। ”– स्वामी विवेकानंद
भारतीये समाज का महत्वपुर्ण हिस्सा होता है युवा जो देश की सपनो को साकार करता है ।