हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु सर्वाधिक सहयोग करने वाले सिख समुदाय के बलिदान को नमन

भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सैकड़ों लोगों ने अपनी और अपने परिवार की कुर्बानी देदी लेकिन ना तो अपना देश छोडा़ और ना ही अपना धर्म आज एक ऐसी ही कहानी है सिख धर्म गुरु श्री तेग बहादुर सिंह जी की जिन्होंने अपने सिख धर्म के साथ साथ हिन्दू धर्म की भी रक्षा करते करते अपनी और अपने परिवार की बलि देदी

गुरु श्री तेग बहादुर सिंह जी ने भी अपने स्वाभिमान एवं धर्म को अपने प्राणों से अधिक मोल दिया। उन्होंने प्राण त्याग दिया, परंतु क्रूर, कपटी एवं नीच मुगल आक्रांता औरंगजेब के आदेशानुसार अपना पवित्र धर्म त्यागकर इस्लाम धर्म नही अपनाया।

यह घटना 10 नवंबर 1675 की है। चांदनी चौक, नई दिल्ली में जहां उनका शीश गिरा था, वहां पर श्री शीशगंज गुरुद्वारा साहिब है। अत्याचारी औरंगजेब ने एक आदेश जारी किया था कि, श्री गुरुजी के शरीर को कोई नहीं उठायेगा। परंतु उनके अनुयायी भक्त भाई चेता जी ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए श्री गुरुजी के शीश को वहां से उठा लिया। शाही ठेकेदार भाई लखी शाह बंजारा जी ने अपनी रुई के गठ्ठे में छिपकर श्री गुरुजी का शरीर उठा लिया।

वहां से रकाबगंज, रायसीना में अपने घर में श्री गुरुजी का पार्थिव शरीर रखकर आधी रात को अपने ही घर में आग लगा दी। इस प्रकार श्री गुरुजी के मृत शरीर का अंतिम संस्कार हुआ था रकाबगंज, रायसीना, नई दिल्ली में जहां उनके पवित्र देह का अंतिम संस्कार किया गया था, वहां पर श्री रकाबगंज गुरुद्वारा साहिब है।
इन महान बलिदानियों को सहृदय नमन।

Team AI News
Author: Team AI News

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