सुरक्षा पर भारी स्कूली बच्चों की ‘सवारी’
मैनपुरी। स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर बनाए तमाम मसौदों पर संबंधित वाहन संचालकों की मनमानी भारी पड़ रही है। इसके लिए सरकार ने एक नया मसौदा बनाया है। यह अगामी वर्ष में लागू होगा। अधिसूचना जारी कर दी गई है। देखना यह है कि पूर्व में लागू नियमों को ताक पर रखने वाले नए मसौदे पर कितना अमल करते हैं।
वर्तमान नियमों को ताक पर रख जिले में करीब 40 फीसद स्कूली वाहन एलपीजी से ही चल रहे हैं। फिटनेस तो दूर कई का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। बड़े स्कूलों के वाहनों में जीपीएस नहीं है। चालक का वेरीफिकेशन तक नहीं है। गति सीमा और चालक की यूनिफॉर्म के नियम का पालक नहीं होता। संबंधित विभाग इस ओर से आंखें मूंदे है। नए नियमों पर 17 जनवरी तक आपत्तियां मांगी गई हैं। यह नियम उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली के 26वें संशोधन के रूप में होंगे। एआरटीओ राजेश कर्दम ने बताया कि लागू होने के बाद उक्त नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा। ये होंगे नए नियम
- प्रत्येक वाहन में सीसीटीवी कैमरे
- वाहन में एक परिचर होगा।
- छात्राओं के वाहन में महिला परिचर अनिवार्य।
- स्कूल वाहन का रूट चार्ट बनाया जाएगा।
- वाहन से जाने वाले छात्रों की सूची विद्यालय और वाहन में रहेगी।
- 15 वर्ष से अधिक पुराना वाहन नहीं चल सकेगा।
- शुल्क का निर्धारण विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति करेगी।
- प्रत्येक सीट पर सीट बेल्ट होगी। बिना बेल्ट लगाए कोई विद्यार्थी यात्रा नहीं करेगा।
- हर स्कूल वाहन पर एक मोबाइल फोन होगा। इसका नंबर विद्यालय व अभिभावकों पर रहेगा।
- स्कूल वाहन से छात्रों को सार्वजनिक स्थान पर ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
जिला स्कूल परिवहन सुरक्षा समिति में जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक, आरटीओ, एओ नगर पालिका, डीआइओएस, बीएसए होंगे। समिति वर्ष में कम से कम एक बार जांच करेगी। विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति
इसमें विद्यालय का प्राधिकारी, नायब तहसीलदार, दो अभिभावक, थाना प्रभारी, बीईओ आदि शामिल होंगे। समिति वाहन के दस्तावेजों की जांच करेगी। फीस निर्धारण, चालकों का स्वास्थ्य व नेत्र परीक्षण, पुलिस सत्यापन कराएगी।
Source Posted By: Jagran